Lingashtakam Lyrics with Meaning - Shri Adi Shankara लिंगाष्टकम अर्थ सहित वर्णन |

Lingashtakam Lyrics with Meaning - Shri Adi Shankara
 

Lingashtakam Lyrics with Meaning

Lingashtakam Lyrics Sanskrit with Meaning In Hindi English sung by S.P. Balasubrahmaniam, written by Shri Adi Shankara, 
लिंगाष्टकम भगवान शिव के सबसे लोकप्रिय गीतों में से एक है जो लिंग के रूप में भगवान शिव की पूजा करने के महत्व को बताते हैं। लिंगाष्टकम नाम का अर्थ स्पष्ट रूप से यह है कि यह शिव लिंगम की महानता और महान भगवान शिव के कई पहलुओं के साथ-साथ इसकी पूजा और कैसे लिंगम की पूजा करने में मदद कर सकता है, इस काव्य रचना में आठ श्लोक (अष्टकम) है।  इसी लिए इसे लिंगा + अष्टकम = लिंगाष्टकम कहते है। 

लिंगाष्टकम की रचना किसने की?

इस सुंदर लिंगाष्टकम की रचना किसने की, इसका श्रेय देने का कोई ठोस प्रमाण नहीं है। हालाँकि, कई लोगों का मानना है कि यह श्री आदि शंकराचार्य द्वारा अष्टकम् लिखने के उनके काव्यात्मक तरीके को देखते हुए लिखा गया था और उस फलस्तिथि को भी देखता है जो उस के साथ मेल खाता है। 

हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि यह श्रीआदि शंकराचार्य काम नहीं था और कहते हैं कि लिंगशक्तम उनकी तारीख से काफी पुराना है, और इसका श्रेय वे महा मुनि अगस्त्य को देते हैं।

Lingashtakam Lyrics in Hindi Fonts


श्लोक 01

ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् |

जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ||

श्लोक 02

देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् |

रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ||

श्लोक 03

सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् |

सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ||

श्लोक 04

कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् |

दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ||

श्लोक 05

कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गं पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम्।

सञ्चितपापविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ||

श्लोक 06

देवगणार्चितसेवितलिङ्गं भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम्।

दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ||

श्लोक 07

अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गं सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम् |

अष्टदरिद्रविनाशितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ||

श्लोक 08

सुरगुरुसुरवरपूजितलिङ्गं सुरवनपुष्पसदार्चितलिङ्गम्।

परात्परं परमात्मकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्॥

"प्राथना"

लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ |

शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ||


Lingashtakam Meaning Hindi Fonts


ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् |

जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ||

अर्थ:- जो ब्रह्मा, विष्णु और सबी देवगणों के इष्टदेव हैं, जी परम पवित्र, निर्मल, तथा सभी जीवों की मनोकामना को पूर्ण करने वाले हैं और जी लिंग के रूप में चराचर जगत में स्थापित हुए हैं, जो संसार के संहारक है और जन्म और मृत्यु के दुखो का विनाश करते अहिं ऐसे भगवान् आशुतोष को नित्य निरंतर प्रणाम है.


देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् |

रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ||

अर्थ:- भगवान सदाशिव जो मुनियों और देवताओं के परम आराध्य देव हैं, तथा देवो और मुनियों द्वारा पूजे जाते हैं, जो काम (वह कर्म जिसमे विषयासक्ति हो) का विनाश करते हैं, जो दया और करुना के सागर हैं, तथा जिन्होंने लंकापति रावण के अहंकार का विनाश किया था, ऐसे परमपूज्य महादेव के लिंग रूप को मैं कोटि-कोटि प्रणाम करता हूँ.


सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् |

सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ||

अर्थ:- लिंगमय स्वरूप जो सभी तरह के सुगन्धित इत्रों से लेपित हैं और जो बुद्धि तथा आत्मज्ञान में वुद्धि का कारण है, शिवलिंग जो सिद्ध मुनियों और देवताओं और दानवों सभी के द्वारा पूजा जाता है, ऐसे अविनाशी लिंग स्वरूप को प्रणाम है.


कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् |

दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ||

अर्थ:- लिंगरूपी आशुतोष जो सोने तथा रत्नजड़ित आभुषणों से सुसज्जित हैं, जो चारों ओर से सर्पों से घिरे हुए हैं, तथा जिन्होंने प्रजापति दक्ष (माता सती के पिता) के यज्ञ का विध्वस किया था, ऐसे लिंगस्वरूप श्रीभोलेनाथ को बारम्बार प्रणाम.


कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गं पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम्।

सञ्चितपापविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ||

अर्थ:- देवों के देव जिनका लिंगस्वरूप कुंकुम और चन्दन से सुलेपित है और कमल के सुन्दर हार से शोभायमान है, तथा जो संचित पापकर्म का लेखा जोखा मिटाने में सक्षम है, ऐसे आदि-अन्नत भगवान शिव के लिंगस्वरूप को मैं नमन करता हूँ.


देवगणार्चितसेवितलिङ्गं भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम्।

दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ||

अर्थ:- जो सभी देवताओं तथा देवगणों द्वारा पूर्ण श्रधा एवं भक्ति भाव से परिपूर्ण था पूजित है, जो हजारों सूर्य के समान तेजस्वी है, ऐसे लिंगस्वरूप भगवान शिव को प्रणाम है.

अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गं सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम् |

अष्टदरिद्रविनाशितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ||

हिन्दी में अर्थ:- जो पुष्प के आठ दलों (कलियों) के मध्य में विराजमान है, जो सृष्टि में सभी घटनाओं (उचित-अनुचित) के रचियता हैं, और जो आठों प्रकार के दरिद्रता का हरण करने वाले ऐसे लिंगस्वरूप भगवान शिव को प्रणाम है.


सुरगुरुसुरवरपूजितलिङ्गं सुरवनपुष्पसदार्चितलिङ्गम्।

परात्परं परमात्मकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्॥

अर्थ:- जो देवताओं के गुरुजनों तथा सर्वश्रेष्ठ देवों द्वारा पूजनीय हैं, और जिनकी पूजा दिव्य-उद्यानों के पुष्पों से की जाती है, तथा जो परमब्रह्म है जिनका न आदि है और न ही अंत है ऐसे अनंत अविनाशी लिंगस्वरूप भगवान भोलेनाथ को मैं सदैव अपने हृदय में स्थित कर प्रणाम करता हूँ.


लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ |

शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ||

अर्थ:- जो कोई भी इस लिङ्गाष्टकम् को शिव या शिवलिंग के समीप श्रद्धा सहित पाठ करेगा उसको शिवलोक प्राप्त होता है तथा भगवान भोलेनाथ उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.


Lingashtakam Lyrics in English Fonts With Meaning


Brahmamurari Surarchitha Lingam
Nirmalabhasitha Shobitha Lingam
Janmaja dhukha Vinasaka Lingam
Tatpranamami SadaSiva Lingam (1)

I bow before the SadaShiva Lingam !
which is worshipped by Brahma, Vishnu and the Devas !
The Lingam that is glorified by the pure and holy words !
The Lingam that destroys the sorrows of cycle of birth and death !

Devamuni Pravararchitha Lingam
Kamadahana Karunakara Lingam
Ravanadarpa Vinasaka Lingam
Tatpranamami SadaSiva Lingam (2)

I bow before the SadaShiva Lingam !
That is worshipped by gods and saints, !
The Lingam that destroyed the kama and the one that bestows mercy on people. !
The Lingam that subdued the pride of Ravana. !

SarvaSugandha sulepitha Lingam
Buddhivivardhana karana Lingam
Siddhasuraasura vamditha Lingam
Tatpranamami SadaSiva Lingam (3)

I bow before the SadaShiva Lingam !
The Lingam that is lavishly applied with all the aromatic and scented pastes !
The Lingam behind the power of elevated thoughts !
The Lingam that is prostrated by the Siddhas, Suras and Asuras. !

Kanaka Mahamani bhooshitha Lingam
Phanipati vesthitha sobhitha Lingam
Dakshasuyagna Vinasana Lingam
Tatpranamami SadaSiva Lingam (4)

I bow before the SadaShiva Lingam !
The Lingam that is adorned with gold and precious gems !
The Lingam that looks great by having Lord of Snakes coiled around it. !
The Lingam that destroyed the Dakshas Yagna !

Kumkuma Chandana lepitha Lingam
Pankajahaara SuShobhitha Lingam
Samchitha papa vinasana Lingam
Tatpranamami SadaSiva Lingam (5)

I bow before the SadaShiva Lingam !
The Lingam that is applied with Kumkuma (sindhoor) and sandalwood paste !
The shining Lingam that is adorned with lotus garlands
The Lingam that wipes out the accumulated sins !

Devaganrchitha sevitha Lingam
Bhavairbhakthi bhirevacha Lingam
Dinakara koti Prabhakara Lingam
Tatpranamami SadaSiva Lingam (6)

I bow before the SadaShiva Lingam !
The Lingam that is worshipped by deva ganas !
The Lingam that is worshipped with genuine feel, great devotion, and consciousness !
The Lingam whose splendor is like that of a million suns !

Asthadalo Parivesthitha Lingam
Sarvasamudbhava Karana Lingam
Astadaridra vinasana Lingam
Tatpranamami SadaSiva Lingam (7)

I bow before the SadaShiva Lingam !
The Lingam that resides on the eight petals !
The Lingam that was the cause of the entire creation !
The Lingam that can destroy the eight aspects of the poverty !

Suraguru Suravara Poojitha Lingam
Suravana Pushpa Sadarchitha Lingam
Paratparam Paramatmaka Lingam
Tatpranamami SadaSiva Lingam (8)

I bow before the SadaShiva Lingam !
The Lingam that is worshipped by the guru of sura’s (Brihaspati) and suravaras !
The Lingam that is worshipped by the flowers from the celestial gardens of gods
The Lingam that is always supre !me and divine of all (I bow to that Lingam) !

Lingashtakamidam Punyam Yah Phate Sshiva Sannidhou
Shivaloka mavapnothi shivena sahamodate

The one who recites this Lingashtakam in the abode of God Shiva will attain ShivaLoka and enjoys the compassion of Great God Shiva.


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